अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ
अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है।
जब दीपक तेजी से जलने लगे तो समझ लो बुझने का समय आ गया !
जब चींटियों के मरने का समय आता है तो उनके पंख उग आता है !
जब सूर्य दोपहर में बहुत तेज चमकता है तो उसके अस्त होने का समय आ गया है !
इसीलिए मनुष्य को हमेशा हर परिस्थिति में सम भाव रहते हुए भगवान का कृतज्ञ होकर यह समझना चाहिए की ” यह समय हमेशा एक सा नहीं रहेगा ! “