Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2024 · 1 min read

अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आ

अधिक हर्ष और अधिक उन्नति के बाद ही अधिक दुख और पतन की बारी आती है।
जब दीपक तेजी से जलने लगे तो समझ लो बुझने का समय आ गया !
जब चींटियों के मरने का समय आता है तो उनके पंख उग आता है !
जब सूर्य दोपहर में बहुत तेज चमकता है तो उसके अस्त होने का समय आ गया है !

इसीलिए मनुष्य को हमेशा हर परिस्थिति में सम भाव रहते हुए भगवान का कृतज्ञ होकर यह समझना चाहिए की ” यह समय हमेशा एक सा नहीं रहेगा ! “

47 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बिखरी बिखरी जुल्फे
बिखरी बिखरी जुल्फे
Khaimsingh Saini
कठपुतली
कठपुतली
Shyam Sundar Subramanian
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश-10🍁🍁
🍁🍁तेरे मेरे सन्देश-10🍁🍁
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
फिर भी यह मेरी यह दुहा है
फिर भी यह मेरी यह दुहा है
gurudeenverma198
Independence- A mere dream
Independence- A mere dream
Chaahat
काला न्याय
काला न्याय
Anil chobisa
क्या हुआ ???
क्या हुआ ???
Shaily
आईना देख
आईना देख
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
"हार व जीत तो वीरों के भाग्य में होती है लेकिन हार के भय से
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
"रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं ढूंढता हूं रातो - दिन कोई बशर मिले।
मैं ढूंढता हूं रातो - दिन कोई बशर मिले।
सत्य कुमार प्रेमी
हंसना रास न आया
हंसना रास न आया
Ashok deep
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Omee Bhargava
सौ बरस की जिंदगी.....
सौ बरस की जिंदगी.....
Harminder Kaur
रोना भी जरूरी है
रोना भी जरूरी है
Surinder blackpen
घमंड
घमंड
Ranjeet kumar patre
बुंदेली चौकड़िया- पानी
बुंदेली चौकड़िया- पानी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
मेरे हिस्से में जितनी वफ़ा थी, मैंने लूटा दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*
*"बापू जी"*
Shashi kala vyas
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
Manoj Mahato
दिल-ए-मज़बूर ।
दिल-ए-मज़बूर ।
Yash Tanha Shayar Hu
अच्छे बने रहने की एक क़ीमत हमेशा चुकानी पड़ती है….क़ीमत को इ
अच्छे बने रहने की एक क़ीमत हमेशा चुकानी पड़ती है….क़ीमत को इ
पूर्वार्थ
नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !
नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !
DrLakshman Jha Parimal
जीवन जितना
जीवन जितना
Dr fauzia Naseem shad
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
Sonu sugandh
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
मुक्तक-विन्यास में रमेशराज की तेवरी
कवि रमेशराज
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
Phool gufran
परिपक्वता
परिपक्वता
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मोहब्बत
मोहब्बत
निकेश कुमार ठाकुर
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
Diwakar Mahto
Loading...