अद्भुत चांँद
इठलाता इतराता चांँद,
जब भी देखूंँ अद्भुत कमाल,
आधी अधूरी तेरी कहानी ,
बढ़ता-घटता जब तू पूरा दिखता ,
चेहरा तेरा कितना चमकता ,
सुंदरता की मिसाल है बनता,
चांँद तेरे मुखड़े पर ,
नजर का काला धब्बा है दिखता,
बच्चे नाचे पूर्णिमा की चांँदनी में,
आती शर्म तो अंँधेरे में छुप जाते,
चांँद तू तो बड़ा है प्यारा ,
अंधेरी रात में प्रकाश है लाता ।
#?बुद्ध प्रकाश ;मौदहा ,हमीरपुर ।