**अदिमी के का हाल बा**
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सुगना सोचे बइठि खोह में,का अदिमी के हाल बा।
दुसरा के बेहाल बनावत,आज भइल बेहाल बा।।
अपनी बुद्धी के बल पर ऊ,सबके नाच नचा दिहलस।
सब जीउवन के बस में करिके,हाहाकार मचा दिहलस।
आजु कठिन दिन ओकर आइल,गलत न तनिको दाल बा।
दुसरा के बेहाल बनावत ,आज भइल बेहाल बा।।1।।
धरा-गगन-पाताल सभत्तर,कब्जावे में जुटल रहे।
ओकरे कारन कई बेर ले,सृष्टि नियमवो टुटल रहे।।
बर्म्हा के भाई बनिके खुद,चलल बजावे गाल बा।
दुसरा के बेहाल बनावत,आज भइल बेहाल बा।।2।।
बनसपती के करत निरादर,धरती कें नंगा कइलस।
काट-मार के जीया-जनावर,हरो घरी दंगा कइलस।।
आज डेराइल बा बदुरी से,समझत आपन काल बा।
दुसरा के बेहाल बनावत,आज भइल बेहाल बा।।3।।
हमरा खातिर पिंजरा राखे,आपन बोली रटवावेला।
जनवर सब के बान्हि पगहिया,आपन वाला करवावेला।।
हड़कउलस अबहिन ले सबके,ऐकर बड़ा मलाल बा।।
दुसरा के बेहाल बनावत,आज भइल बेहाल बा।।4।।
करनी के फल भोगत बाटे,साँस-साँस के दूलम बा।
पेड़-खूँट बचले जब नइखे,बीपति खुल्लाखूलम बा।।
बाकी सब निहाल देखिके,टूटत ओकर जाल बा।
दुसरा के बेहाल बनावत,आज भइल बेहाल बा।।5।।
**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**