अदाकारा पटाखा नहीं होती !
किसी कुरूप पर कितने मर्दों को मरते देखा है
प्रेम की देहलीला
सुंदर युवती पर ही आ ठहरती है
द्रोपदी सुंदरी थी
राजकुमारी थी
पाँच-पाँच पति पाई थी
फिर भी दुश्शासन ने छेड़ने का साहस किया !
ऐसे में मिसेज मुखर्जी
फ़ख्त तीन पतियों की रानी
सिर्फ इतिहास को दुहराती,
एक अदाकारा है,
पटाखा नहीं !