अथक…
हालातों के आगे
कभी गिरती, कभी उठती…
कभी-कभी तो
दिन को आखरी, समझ जीती…
प्रतिक्षण प्रतीक्षा समर्पित
समभाव का संधान करती…
वेदना का मर्म छिपाए
संघर्ष को साथी बनाए
अथक आगे बढ़ती जाती हूँ…
तुमने पूछा तो
लो आज तुमको मैं
अपने विषय में यह बताती हूँ…
हाँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ…
हाँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’