अथक प्रयत्न
सही मोड़ दो अपने को या नकारात्मक मोड़
दे रहे हो अपने को मोड़ तो पूरा होश रखो।
यही मोड़ व्यक्ति को गिराती -उठाती हैं।
कर लो तनाव
दे दो अपने को ये आग
जिसकी दुनिया बड़ी दीवानी है।
सौगात लिए चलती हूँ।
व्यवहार चलती हूँ।
अनायास रुक जाती है
डर कर ही सही पर रुक जाते हैं।
कौन कहता है मुकद्दर का सिकंदर।
सब यहां सही प्रयास का फल है।
जो भी मानव के बस ,यश में हैं।
अपनी योग्यता और पात्रता बढ़ाओ।
निखर उठो मानव जीवन बनकर ।
_ डॉ.सीमा कुमारी,बिहार,भागलपुर, दिनांक-11-4-022 की मौलिक एवं स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित कर रही हूं।