” अत्याचारी युद्ध “
” अत्याचारी युद्ध ”
युद्ध की विडंबना है बड़ी अत्याचारी
मीनू को तुम्हें आज सुनाना ही पड़ेगा
समृद्ध और प्रतिभावान देश चपेटे में
मैं के चक्कर में युद्ध लड़ना पड़ेगा,
ब्रह्माण्ड की सत्यता है ज्यों ही
अस्तित्व में आया उसे मिटना पड़ेगा
कुछ नहीं रहना अमर इस धरती पर
यमराज का फर्ज तो निभाना पड़ेगा,
एक बार युद्ध भी जो हुआ शुरू
खत्म तो इसे भी होना ही पड़ेगा
दिनचर्या होगी लोगों की दोबारा शुरू
चांद सूरज को दोबारा उगना पड़ेगा,
मशीनरी भी नई बन जाएगी दोबारा
धरती आसमान को भी दमकना पड़ेगा
चलने वाले चलेंगे, रुकने वाले रुकेंगे
परिणाम सबको लेकिन भुगतना पड़ेगा,
रंगों को मानती थी जो अपनी दुनिया
उस चंचल लड़की को तो रोना पड़ेगा
शौहर हो गया उसका शहीद युद्ध में
वीरान जीवन अब उसे जीना पड़ेगा,
सफेद हो जाएगी अब उसकी जिंदगी
सोच समझकर कदम धरना पड़ेगा
बच्चे पूछेंगे कहां हैं हमारे पिता
रो रोकर युद्ध का हाल बताना पड़ेगा,
बूढ़े मां बाप की आंखे ढूंढती रहेंगी
बेटा तो मगर खोना ही पड़ेगा
जाने वाला तो दब गया बारूद में
अब ताउम्र अकेले जीना ही पड़ेगा,
खिलाया जिसको अपनी गोद में
इतिहास बना अब पढ़ना पड़ेगा
अफसोस रह जाएगा मन मसोस कर
घर के चिरागों को तो बुझना पड़ेगा,
कुछ नहीं मिलेगा युद्ध से किसी को भी
बस ऋणात्मक परिणाम देखना पड़ेगा
क्यों नहीं समझ जाते हम समय रहते
नहीं तो बाद में बस पछताना पड़ेगा,
बिखरी बिखरी सी हो जाएगी जिंदगी
खामियाजा युद्ध का जनाजा बनेगा
दिखेंगी डरी सहमी सी सुनसान गलियां
और उनमें लाश का ठिकाना जंचेगा,
उलट पलट होएगा सबका ठिकाना
भयावह रास्तों से गुजरना पड़ेगा
मीनू कहे युद्ध का तो नाम भी बुरा है
बैंकरो में रात को सोना पड़ेगा,
मिल जुल कर रहने से बनेगा काम
अन्यथा माटी में मिलना पड़ेगा
युद्व होता भयंकर इतिहास गवाह है
सबको ही इसमें सिमटना पड़ेगा।
Dr.Meenu Poonia