अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
सदा गतिमान है हिंदी, सतत उत्थान है हिंदी।।
बसें हैं प्राण निज भाषा, हमारी जान है हिंदी।
सिखाए प्रेम परिभाषा, हमारी शान है हिंदी।।
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
खुले बंधन तिमिर के हैं,धवल आवास है हिंदी।।
बजे मुरली मधुर कान्हा, श्रवण मधुरम लगे हिंदी।
बहे रसधार रिमझिम सी, प्रिय सरगम लगे हिंदी।।
पयोनिधि नेह में घोली, मधुर सुर साज है हिंदी।
पलाशी पुष्प पुलकित सी,पुलक ऋतुराज है हिंदी।।
अलौकिक मातृभाषा है,सृजन साकार है हिंदी।
रचो कुसुमित सृजन ‘नीलम’,नवल श्रृंगार है हिंदी।।
नीलम शर्मा ✍️