अतीत की शिक्षा
महाभारत से चलीं आके ,
यह प्रथा प्रभूत पुरातन हैं ,
एक – दूसरे के रूधिर के ,
तृषित बन जाते अपने है।
मत कर भ्राता पर विश्वास
यह रामायण ने सिखलाया है ,
भ्राता के दोहरेपन पर
होते चित्त के चौ टुकड़े हैं।
अटूट- विश्वास गढ़ना हमें
यह अंग्रेजों ने समझाया है ,
नए – नए अन्वेषण कर हमें
तरक्की तक पहुँचाया है।
एकत्व न होने के सबब ही ,
कितने युद्धों को हारा प्रांत ,
प्रताप, महाराज पुरुषोत्तम ,
जैसे अनेक देशभक्तो को भी ,
विदेशियों से पराभव मिली है।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय ,बिहार