” अति भक्ति चोरेर लक्षण “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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बंगला मे एकटा फकड़ा छैक ” अति भक्ति चोरेर लक्षण ” ! संभवतः एकरा दोसरो रुपें कहल जा सकैत अछि ” लम्बा तिलक मधुर वाणी यह है दगावाज की निशानी ” ! परंच इ फकड़ा कहिया बनल तकर खोज प्राचीन ,मध्य आ आधुनिक इतिहास मे करब असंभव प्रतीत होईत अछि ! एकर इ तात्पर्य नहि कि इ कहबी ओहिना प्रचलित भ गेल ! हमरा सबकें यथार्तक अन्वेषण करक चाही ! पहिने हमरा लोकनि एहन व्यक्तिक सम्मोहनक जाल मे उझरा जाईत छी ! हुनकर प्रशंसा ,मधुर बोल आ भंगिमा सं प्रभावित भ जाईत छी ! परन्तु इ जुनि बुझु कि हुनकर प्रशंसा कें दोग मे कोनो स्वार्थ नहि छनि ! इ अकाट्य सत्य आछि जे जखन प्रशंसाक शब्दावली सठि जेतनि तखन हुनकर रूप कनि भिन्य भ जेतनि ! समाज मे सब प्रकारक लोक होईत अछि ! समय रहित परिख सकि त उत्तम अन्यथा फंसल रहू प्रशंसाक ‘सम्मोहनक लत्ती ‘ मे !!!!
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड