अतिथि
मुक्तक
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खूब करें सत्कार अतिथि का, यह भारत की रीत।
इसे निभाते हैं मन से सब, लिए हृदय में प्रीत।
किन्तु अतिथि को यही चाहिए, दर्शाएं आभार।
इसी तरह हम स्नेह भाव से, मन लेते सब जीत।
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घर आए का स्वागत कर लें, क्षमता के अनुसार।
स्नेह भरा हो आतिथेय का, कोमल सद्व्यवहार।
करें समर्पित बिना हिचक से, जो है अपने पास।
इसी तरह से आगे बढ़ते, हैं सबके परिवार।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य