Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2017 · 1 min read

* अठारह का आगमन *

अब सत्रह से ख़तरा ख़त्म होगा अठारह का आगमन

कुछ रहेंगी खट्टी-मीठी यादें और सत्रह का होगा गमन

अब सत्रह को भूलो और करो अठारह का सुस्वागतम

जीवन है आना-जाना अब कर ना इकदिन होगा गमन ।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 208 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from भूरचन्द जयपाल
View all
You may also like:
हँस लो! आज  दर-ब-दर हैं
हँस लो! आज दर-ब-दर हैं
दुष्यन्त 'बाबा'
धीरे धीरे बदल रहा
धीरे धीरे बदल रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सपना
सपना
ओनिका सेतिया 'अनु '
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
"सब्र"
Dr. Kishan tandon kranti
जन्मदिन पर लिखे अशआर
जन्मदिन पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भारत के वीर जवान
भारत के वीर जवान
Mukesh Kumar Sonkar
"बिना बहर और वज़न की
*Author प्रणय प्रभात*
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
👸कोई हंस रहा, तो कोई रो रहा है💏
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
हिंदुस्तान जिंदाबाद
हिंदुस्तान जिंदाबाद
Aman Kumar Holy
प्रेममे जे गम्भीर रहै छैप्राय: खेल ओेकरे साथ खेल खेलाएल जाइ
प्रेममे जे गम्भीर रहै छैप्राय: खेल ओेकरे साथ खेल खेलाएल जाइ
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
इन आँखों को भी अब हकीम की जरूरत है..
इन आँखों को भी अब हकीम की जरूरत है..
Tarun Garg
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ४)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ४)
Kanchan Khanna
अपनों की महफिल
अपनों की महफिल
Ritu Asooja
संस्कार का गहना
संस्कार का गहना
Sandeep Pande
बड़ा हिज्र -हिज्र करता है तू ,
बड़ा हिज्र -हिज्र करता है तू ,
Rohit yadav
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
एक छोरी काळती हमेशा जीव बाळती,
प्रेमदास वसु सुरेखा
याचना
याचना
Suryakant Dwivedi
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*मेला (बाल कविता)*
*मेला (बाल कविता)*
Ravi Prakash
शब्द
शब्द
लक्ष्मी सिंह
राम तुम्हारे नहीं हैं
राम तुम्हारे नहीं हैं
Harinarayan Tanha
__________________
__________________
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*
*"देश की आत्मा है हिंदी"*
Shashi kala vyas
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
सराब -ए -आप में खो गया हूं ,
Shyam Sundar Subramanian
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
कभी मिले नहीं है एक ही मंजिल पर जानें वाले रास्तें
Sonu sugandh
2876.*पूर्णिका*
2876.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तू क्यों रोता है
तू क्यों रोता है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दाता
दाता
Sanjay ' शून्य'
Loading...