अट्ठारह प्लस
ताई, युवा जोड़ा और वो !
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18 प्लस होना क्या किसी ऐसी आज़ादी का अधिकृत लाइसेंस है जो सार्वजनिक स्थानों पर निर्लज्जतापूर्वक विचरण करने के लिए मिल जाती है ?
पिछले कई दिनों से मैट्रो के एक वायरल वीडियो में लड़का-लड़की को आपत्तिजनक अवस्था में देखकर, डांट लगाकर सार्वजनिक स्थल पर संयम बरतने की सलाह देने वाली इस महिला के दिल का दर्द इनके शब्दों और हावभाव से देखा जा सकता है.
महिला के दिल के दर्द के साथ-साथ युवा पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती ‘हम 18+’ हो चुके हैं !’ वाली बुलंद आवाज भी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर ये पीढ़ी क्या केवल यही सब करने के लिए 18+ होना चाह रही है ? हो सकता कि इनके लिए अब आज़ादी के मायने शायद यही होते होंगे .
खैर , जो भी हुआ हो , बाद नें दोनों पक्षों ने अपमे-अपने तर्क दिए और लगा कि यह मामला एक मां और बच्चों के बीच होने वाली हिदायतों और तकरारों का दौर भर ही था !
वैसे यह सब सदियों से होता आया है , इसमें कुछ नया नहीं है!
नया है तो बस वो एक तीसरा पक्ष जो अभी बीते कुछ सालों से अचानक सक्रिय हुआ है. और यह तीसरा पक्ष , किसी भी घटना को होते देखकर घटना को संभालने की बजाय कैमरे का मुँह खोलकर उसपर तान देता है और फिर संबंधित पक्षों का सच जाने बिना उस वीडयो को वायरल कर उनके व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन को पूरी तरह तबाह कर डालता है ! प्रश्न है कि क्या हाथ में मोबाइल होने भर से ही किसी की भी वीडियो बनाने का लाइसेंस मिल जाता है?
मुझे लगता है कि अब वायरल वीडियोज़ में दिखने वाले पक्षों से अधिक बनाने वालों को ढूंढ कर उन्हें वायरल करना अधिक ज़रूरी है!
यदि इस वीडियो को बनाने वाले को ढूंढ कर सामने लाया जाए और फिर उसे वायरल किया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा!
इस तीसरे पक्ष ने कई जिंदगियां बर्बाद की हैं और आगे भी यूं ही करता रहेगा.
समय आ चुका है कि इस तीसरे पक्ष को भी बेनकाब करने के लिए सोशल मीडिया पर एक अभियान चलाया जाना चाहिए !
वरना हो सकता है कि कल आपकी-हमारी कोई सहज भाव से की गई कोई मामूली सी हरकत भी वायरल होकर हमें भी सदियों तक मुंह दिखाने के लायक न छोड़े !
क्योंकि यह सोशल मीडिया है डीयर ! यहां सच जाने बगैर चीज़ें आगे फारवर्ड की जाती हैं !
#expose_third_eye
~Sugyata