अटूट बंधन/रक्षा बंधन
आज याद उनकी आई है
सीमा पर जो मेरे भाई हैं ,
हम बहनों की रक्षा को
तान के रखा है सर को ,
ये रक्षा का जो धागा है
नही मामूली तागा है ,
इसको बाँध के जब ये चलते हैं
दिल दुश्मन के तब डरते हैं ,
भाई तुम डटे रहना
सरहद से सटे रहना ,
हमने भेजी है जो तुमको
संजीवनी से भरी है देखो ,
बाँध के उसको अपनी कलाई में
लगे रहो अपने देश की भलाई में ,
ये जो कुमकुम भेजा है
इसमें दिल अपना सहेजा है ,
लगा कर तिलक अपने ललाट पर
सिंह सा दहाड़ना उनके कपाट पर ,
ये जो चावल के दाने हैं
संस्कृति और पवित्रता के माने हैं ,
इनको जब तिलक पर लगाओगे
तुम खुद नतमस्तक हो जाओगे ,
यही हमारी परंपरा है ऐसी ही रीत है
भाई मेरे इस बहन की तुमसे ही प्रीत है ,
मेरा तुम्हारा रिश्ता सबसे अटूट बंधन है
सबसे पवित्र दिन है ये नाम जिसका रक्षा बंधन है ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 01/08/2020 )