अटल ज्योति बुझ न पाये
अटल रहे निज सिद्धन्तों पर ,
अटल रहेगा, उनका वैभव ।
मातृभूमि का अमर पुत्र वह
याद रहेगा युगों युगों तक ।।
कर सका जितना समर्पण
कर दिया माँ को ही अर्पण ।
स्वार्थ निज का कुछ नही था,
सत्यता का स्वच्छ दर्पण ।।
दूर कोसों दम्भ जिसके,
शत्रु का मस्तक भी नत था ।
त्याग-सेवा और समर्पण
सदा ही वह साधना-रत था ।।
मान माँ का घट न पाए ,
ये तिरंगा झुक न पाए ।
याद तुमको हम रखेंगे ,
अटल-ज्योति बुझ न पाए ।।
विनम्र श्रद्धांजलि,,,,,,,,
सुनील सोनी “सागर”
चीचली
जिला–नरसिंहपुर
(म.प्र.)