“अटल जी को श्रद्धांजलि”
गम है दिल मे नम है आंखें,एक सितारा टूट गया।
दर्द है अब तो एक अटल जी,साथ तुम्हारा छूट गया।
कौन बताएगा हमको अब,राजनीति की मर्यादा।
कौन सिखाएगा सबको अब,जीना जीवन यह सादा।
अब लगता है जैसे कोई,अपना मुझसे रुठ गया।
दर्द है अब तो एक अटल जी,साथ तुम्हारा छूट गया।
विश्व पटल पर जाकर जब,दुनिया को तुमने बतलाया।
हिंदी में सम्भाषण दे,इसकी महता को दिखलाया।
डंका भारत के शक्ति सबल का,पोखरण से गूंज गया।
दर्द है अब तो एक अटल जी,साथ तुम्हारा छूट गया।
याद है कारगिल की वो लड़ायी,सीमा पर जब संकट आयी।
लेकर निर्णय तब मान बढ़ाया,पाकिस्तान को धूल चटाया।
देख के शौर्य जवानों का,दुश्मन के पाव भी फूल गया।
दर्द है अब तो एक अटल जी,साथ तुम्हारा छूट गया।
सच्ची श्रद्धा हम तब देंगे जब,ध्यान करे आदर्शो पर।
भारतवंशी चले तुम्हारे लिखे हुए संदर्शो पर।
दुःख में भारत वंशज के अब,अश्रु की धारा फूट गया।
दर्द है अब तो एक अटल जी,साथ तुम्हारा छूट गया।
(@लेखक द्वारा सर्वाधिकार सुरक्षित)
लेखक- डॉo मनीष कुमार सिंह ‘राजवंशी’
असिo प्रोफेसर(बीoएडo)
सoबo पीo जीo कॉलेज बदलापुर, जौनपुर