अटल करे आभार
सरसी छंद
१६+११=२७
अटल करे आभार।
सब कुछ तुमने हमें दिया है, जीवन ये संसार।
रोटी कपड़ा और मकां भी, दिया हमें घर-बार।
जब भी डूबी कश्ती जल में,कर दी पल में पार।
जीवन नाव फंसी है जब भी,पकड़ी है पतवार।
हिली नींव जब भी जीवन की,दिया सबल आधार।
भार हुआ जब भी जीवन ये,कीन्हा हल्का भार।
जब जब टूटा कभी भरोसा,दिया तथ्य को सार।।
वाणी में नित ओज भरा है,दिया कथ्य को धार।