Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Apr 2019 · 2 min read

अजेय

लघुकथा
शीर्षक – अजेय
======================
निर्मला मेमोरियल हॉस्पिटल का उद्घाटन, सेठ रघुनंदन प्रसाद अपनी डॉक्टर बेटी के हाथो से करवाते हुए बहुत ही प्रसन्न दिखाई दे रहे थे l आज जो हॉस्पिटल बनकर तैयार हुआ था वो उनकी जीवन भर की तपस्या थी l
डाo नेहा ने हॉस्पिटल के गेट पर लगे लाल रिवन को काटकर उद्घाटन किया तो समारोह में उपस्थित लोगों ने तालिया बजाकर उनका स्वागत किया l
उद्घाटन के बाद सेठ जी ने लोगों को संबोधित करने के लिए माइक हाथ में लिया – ” मेरे प्यारे नगर वासियों यह अस्पताल सिर्फ महिलाओं को समर्पित है यहाँ पर उन्हे निशुल्क उपचार व देखभाल मिलेगी l कोई भी स्त्री जब बच्चे को जन्म देती है तब उसका खुद एक नया जन्म होता है और बहुत सी महिलाएं बच्चे को जन्म देते समय काल के गाल में समा जाती है यह बहुत दुखद है अब ऎसा नहीं होगा जैसे मेरे और न जाने कितने लोगों के साथ हुआ ”
सेठ जी की आंखो में आँसू साफ देखे जा सकते थे,,, उन्होने अपने आँसू रुमाल से पोंछे ओर पुनः बोलना शुरू किया – यह अस्पताल मैंने अपने पत्नी निर्मला की याद में बनवाया है वो मेरी हमदम, सलाहकार, प्रे‍यसी, मेरी दोस्त सब कुछ थी,,, वो दिन मुझे अच्छे से याद है जब मेरी बेटी के जन्म के बाद निर्मला कुछ ही समय की महमान थी,,, जब मै निर्मला से मिलने पहुंचा तो उसने मेरा हाथ अपने हाथ में थाम लिया और कहने लगी- ” रघु मै जा रही हूँ मेरी बेटी का ख्याल रखना और उसे बहुत बड़ा डॉक्टर बनाना,,, मै तुम्हें छोडकर नही जाना चाहती रघु… तुम्हें बहुत प्यार करती हूं” उसकी आंखो से आंसू बह निकले और फिर वह कुछ नहीं बोल सकी l
” तब से लेकर मेरी पत्नी, मेरे सपने और मेरी बेटी के रूप में जीवित हैं और उसे कभी मरने नहीं दूँगा, यह हॉस्पिटल हमेशा अमर रहेगा ”

डॉ नेहा ने, अपने रोते हुए पापा को गले से लगा लिया…. ~उपस्थित~ लोग तालियां बजा रहे थे और हॉस्पिटल के हॉल में लगी निर्मला की प्रतिमा, इस शानदार जीत और मौत की हार पर ~अजेय~ मुस्कुरा रही थी…… I

राघव दुबे
इटावा ( उप्र)
84394 01034

Language: Hindi
1 Like · 298 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
संविधान शिल्पी बाबा साहब शोध लेख
संविधान शिल्पी बाबा साहब शोध लेख
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जीवन में कोई मुकाम हासिल न कर सके,
जीवन में कोई मुकाम हासिल न कर सके,
Ajit Kumar "Karn"
कविता -
कविता - " रक्षाबंधन इसको कहता ज़माना है "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत
Mukesh Kumar Sonkar
किसी वस्तु की कीमत किसी व्यक्ति को तब समझ में आती है जब वो उ
किसी वस्तु की कीमत किसी व्यक्ति को तब समझ में आती है जब वो उ
Rj Anand Prajapati
दोहा
दोहा
*प्रणय*
Dr arun kumar shastri
Dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2975.*पूर्णिका*
2975.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है!
जब तुमने सहर्ष स्वीकारा है!
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
लहज़ा तेरी नफरत का मुझे सता रहा है,
Ravi Betulwala
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
Shweta Soni
"इफ़्तिताह" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
*प्रेम भेजा  फ्राई है*
*प्रेम भेजा फ्राई है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"तुलना"
Dr. Kishan tandon kranti
आओ मृत्यु का आव्हान करें।
आओ मृत्यु का आव्हान करें।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
हारा हूं,पर मातम नहीं मनाऊंगा
हारा हूं,पर मातम नहीं मनाऊंगा
Keshav kishor Kumar
कुछ कहती है, सुन जरा....!
कुछ कहती है, सुन जरा....!
VEDANTA PATEL
मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
मुकाम जब मिल जाए, मुकद्दर भी झुक जाता है,
पूर्वार्थ
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
*जीवन का सार यही जानो, कल एक अधूरा सपना है (राधेश्यामी छंद )
Ravi Prakash
"हमारे दर्द का मरहम अगर बनकर खड़ा होगा
आर.एस. 'प्रीतम'
जागो, जगाओ नहीं
जागो, जगाओ नहीं
Sanjay ' शून्य'
हाँ, मैं पुरुष हूँ
हाँ, मैं पुरुष हूँ
हिमांशु Kulshrestha
मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे...
मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे...
दीपक झा रुद्रा
मेरी जो बात उस पर बड़ी नागवार गुज़री होगी,
मेरी जो बात उस पर बड़ी नागवार गुज़री होगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चुप
चुप
Dr.Priya Soni Khare
क्यों बदल जाते हैं लोग
क्यों बदल जाते हैं लोग
VINOD CHAUHAN
चार बजे
चार बजे
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
*** चोर ***
*** चोर ***
Chunnu Lal Gupta
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
छिपी हो जिसमें सजग संवेदना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
अकेले हुए तो ये समझ आया
अकेले हुए तो ये समझ आया
Dheerja Sharma
Loading...