अजीब सा दौर है
अजीब सा दौर है हरेक राह टेढ़ी चुनता है
हर कोई नया जाल, नया किस्सा बुनता है
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किस्सों में सिमटती जा रही है अब जिंदगी
न सुनता हूँ गौर से मै न और कोई सुनता है
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कपिल कुमार
05/10/2016