अजीब मनोस्थिति “
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देख ले तेरे संसार की हालत
आज कैसी हो गई हे भगवान !
अपने दुःख से दुःखी नहीं वह
दुःखी दूजे के सुख से है इंसान,
स्वयं की परिस्थिति संभलती नहीं
लेकिन पड़ोसी का रखता है ध्यान
अपना परिवार चाहे भाड़ में जाए
हाथ में रखता रिश्तेदारों की कमान,
सारी खबर चाहिए पड़ोसियों की
चाहे हो बूढ़ा चाहे वह हो जवान
नया करने का कभी सोचता ही नहीं
दूसरों का पीछा कर ही चलाएगा दुकान,
इसलिए खुश नहीं रह सकता वह
चाहे आए त्योहार चाहे बने पकवान
ध्यान तो सारा खुद से हटा लिया
अब चाहे कोई आता रहे मेहमान,
दिखावे की होड़ में निज औकात भुला
तभी तो बड़े बड़े हो गए हैं अरमान
मानसिक शांति से अब हुआ है अलगाव
जिंदगी को बना लिया कलयुग का गुलाम।
Dr.Meenu Poonia jaipur