अजीब बात है
बादल गरजा बिजली चमकी।
हुई ना बरसात अजीब बात है।।
रौनकें थी कलियां भी शाखों पर।
खिला ना फूल अजीब बात है।।
थी बाजार में सच्चाई की दुकान।
ना बिका सामान अजीब बात है।।
पैरोकार बहुत मिले अदालत में।
सजा का हुआ एलान अजीब बात है।।
जिस आइन से है हस्ती उनकी।
उसे ही करें बदनाम अजीब बात है।।
नुक्स निकाला करें आईने में।
चेहरे पे थे निशान अजीब बात है।।
पत्थर से लहूलुहान हुए पैर।
हटाया ना राह से अजीब बात है।।
तार तार हुआ लिवास कांटों से।
बोए थे तूने सूल अजीब बात है।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)