अजब जग के नजारे हैं….
कहीं सूखा कहीं बाढ़ें, अजब जग के नजारे हैं।
कहीं घनघोर बारिश है, कहीं सूखे किनारे हैं।
उजालों औ अँधेरों में, छुपा है सार जीवन का,
धरा आकाश मिल दोनों, करें गुपचुप इशारे हैं।
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
कहीं सूखा कहीं बाढ़ें, अजब जग के नजारे हैं।
कहीं घनघोर बारिश है, कहीं सूखे किनारे हैं।
उजालों औ अँधेरों में, छुपा है सार जीवन का,
धरा आकाश मिल दोनों, करें गुपचुप इशारे हैं।
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद