अजन्मी बेटी का प्रश्न!
ओ बाबुल मैं भी तो थी
तेरे आँगन का फूल।
फिर क्यों समझा तुमने बाबुल,
मुझको अपने आँगन की शूल।
क्यों शूल समझकर तुमने बाबुल,
मुझे अपने जीवन से निकाल दिया।
इस दुनिया में आने से पहले ही,
क्यों मेरा जीवन छिन लिया।
आखिर क्या थी मेरी भूल बाबुल,
जिसकी सजा तुमने यह दिया।
छिन लिया मेरा जीवन बाबुल
ऐसा तुमने क्यों किया।
मैने तो तुमसे बाबुल
कुछ नही मांगा था,
बस अपने लिए जीवन और
थोड़ा सा प्यार तुमसे चाहा था।
तुम अगर दे देते बाबुल
थोड़ी सी अपने आँगन का धूल।
मै उस थोड़े धूल में ही बाबुल
खुशी-खुशी खिल जाती।
खिलकर तेरे आँगन में बाबुल
मै अपनी खुशबू से महकाती।
पर तुमने तो बाबुल मुझसे
मेरा जीवन ही छिन लिया।
बिटिया नाम सुनते ही,
मुझे मारने का हुक्म सुना दिया।
मै चीख-चीखकर तुमसे बाबुल,
अपने लिए जीवन दान मांग रही थी।
खामोशी भरे शब्द लिए मैं,
रहम के लिए चिल्ला रही थी।
थोड़ा सा अगर तुम धीरज धर लेते,
मेरी आवाज को तुम सुन पाते ।
फिर नही ऐसे तुम बाबुल
मेरी मौत का सौदा करते।
नही बनते तुम हैवान बाबुल,
नही बनते तुम हत्यारे।
अगर मन की आँख खोलकर
तुम देखते अगर यह संसार ।
बिटिया कैसे रचती है
यह सारा संसार ।
बिटिया नही हो इस जग में तो
कहां है जीवन और संसार।
हमने ही तो बढाया है बाबुल
इस जग में वंश रूपी आधार।
फिर क्यों करते हो बाबुल
तुम सब मेरा तिरस्कार ।
जब मै नही रहूंगी बाबुल,
कहां से आएगा,
जिसको तुम कहते हो चिराग।
बेटा अगर चिराग है बाबुल
मै रोशनी हूँ इस जग की।
मै नही रहूंगी बाबुल तो
सारा जग रहेगा अंधियारा ।
फिर सिर्फ तुम चिराग
लेकर क्या करोगे बाबुल
जब संसार में नही रहेगा
रोशनी देने वाली,
यह बिटिया रूप हमारा।
इसलिए तुमसे मेरी
गुजारिश है बाबुल।
अगली बार जब बेटी हो,
इस संसार मे आने देना।
इस जग का आधार है वो
उसको नही मिटा देना।
एक बार मेरे प्रश्न को बाबुल
धैर्य से तुम सुन लेना
जब रोशनी ही नही रहेगी,
फिर कैसे तुम सिर्फ चिराग से
दूर कर पाओगे इस जग का अंधियारा ।
अनामिका