अजनबी
जिंदगी के सफर मैं बहोत से अजनबी मिलते हैं, कुछ अपने तो कुछ पराये लगते हैं,
ऐसा ही एक अजनबी मेरी जिंदगी में भी
आया था,
पता नहीं क्यों उसको देखते ही,
दिल की धडकन तेज़ हो जाती थी,
अचानक से सांसे फुल जाती थी,
उसके सिवाँ बाकी कुछ भी देख नहीं पाती थी…….
वो जब सामने आता,हाथ-पैर थंडे़ पड़ जाते,
नजरोंसे नजरें मिलाने के बजाए,
उससे नजरें चुरा लेती थी……
धीरे-धीरे बातचीत शुरु हो गई थी,
लोगों की नजरोंसे छुपते -छुपाते,
मिलना जुलना शुरु हो गया था,
हां, हमें प्यार हो गया था….. हमें प्यार हो गया था……
प्यार मैं बहोत से कसमें -वादें दिए गये,
एक साथ जिने मरने की कसमें खाई गयी,
अब उसके बिना में, और मेरे बिना वो
अधुरे लग रहे थे,
वो अजनबी, अब अपना बन चुका था,
सभी अपनोंसे ज्यादा प्यारा हो चुका था,
क्यों की अब मैं उसकी पत्नी और
वो मेरा पति हो चुका था|