#अजनबी
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★ #अजनबी ★
खुशियाँ तेरे जहान की सब मैं जी गया
होंठों से छू लिया कभी आँखों से पी गया
आती हैं रास मुझको हुक्मरानों की हिदायतें
तेरी रज़ा जान के मैं होंठों को सी गया
करते हैं सब गिला कि अब मैं बोलता नहीं
उनको ख़बर नहीं कि दोस्त मेरा वज़ीर हो गया
दो-चार दिन की हुकूमतें दो-चार दिन है ज़िन्दगी
गूँजेगी बस यही सदाअ कोई अजनबी गया
पिछले पहर वीरानियाँ मुझसे ख़फा हुईं
शुक्रिया से मिला नहीं न उसके घर कभी गया
अच्छी नहीं तक़रार न सही हैं अदावतें
रिश्तों की झीनी चदरिया मैं सी – सी गया
मिलने को आईं दर तक मेरे दुनिया की नियामतें
सुकून भी आया था उठकर अभी गया
मेरे हुज़ूर मेरी मुहब्बत का रख ख़्याल
तू ही तो आया दिल में मेरे मैं नहीं गया
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२