अजनबी
फूल कांटो पर हँसने लगे हैं,
लगता है कांटें भी अब ।
माली की जाल में ,
फंसने लगे है ।
हैरान हूँ ,
मैंने दिल में सजाया ।
कोई बाग़ नहीं ,
फिर भी लोग ।
मेरे दिल में ,
आकर बसने लगे है ।
अब ये गजब का नशा,
जो मुझ पर छाने लगा।
अजनबी मेरा जीवन,
अब लगने लगा है।
ए कैसी घुमायी है,
अजनबी मेरा जीवन,
अब लगाने लगीं हैं।।
बन गई मेरी जिंदगानी ,
अजनबी सी कहानी।
खुद सोच कर हैरान,
है मेरी जिंदगानी।
अब कैसे अजनबी,
पर हीं मेरी जिंदगानी।
फूल कांटो जैसा ,
अब है जिंदगानी।।
#किसानपुत्री_शोभा_यादव