जान पहचान
तुम पास से गुजरे
तो चेहरे पर हल्की मुसकुराहट बस फैलने को थी
तुम्हे भावहीन पाकर
आंखे सिकुड़ कर
तुम्हे अपरिचित बनाने मे जुट गई।
अब ये अजनबीयत कायम रहेगी
तुम्हारी चुप्पी टूटने तक।
जान पहचान गर है तो ये रोज की जहमत जरूरी है
तुम्हारी तरफ से भी।