अजनबी से मुलाकात
प्रवीण कि कलम से …….
कवित्री प्रेरणा ठाकरे को समर्पित कविता “अजनबी से मुलाकात”
एक अजनबी, से, यूँ मुलाकात, हो गई
फिर क्या हुआ, ये ना पूछो, कुछ ऐसी बात, हो गई
एक अजनबी …
हमने देखा उनको व नजर से नजर मिली
जैसे निकल आया घटा से चाँद
चेहरे पे ज़ुल्फ़ें, बिखरी हुई थीं
मानो रात मे दिन हो गया,
एक अजनबी …
खूबसूरत बात ये, चार पल का साथ ये
सारी उमर मुझको रहेगा याद
हम अकेले थे, धरोहर पर, बन गये वो हमारे साथी
वो हमारे धरोहर के साथ हो गये,,
एक अजनबी …
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__✍ कवि प्रवीण प्रजापति “प्रखर”