अजनबी सा सफ़र
रात का सफ़र ये अजनबी सा सफ़र,
जुगनूएं आवाज़ दे रहे कि रात हुई!!
मुहब्बत की राहों में हम मिले न कभी,
जानें अनजाने में फिर क्या बात हुई!!
सितारों में खोई हुई चमक फिर लौट आई,
लगता है चांद तारों में कोई मुलाकात हुई!!
वो आंगन कब से सुना पड़ा है तेरी राह तकते,
सूखे शजरों में फिर यूं आंसूओं की बरसात हुई!!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”