अजनबी रात भर
**अजनबी रात भर याद आता रहा**
*****************************
अजनबी रात भर याद आता रहा,
बात बातों में कुछ बात कहता रहा।
बीत गई हर शाम सुनी सी तुम बिन,
ख्वाब में ख्याल तेरा सताता रहा।
देख कर मुख तुम्हारा दिल है आवारा,
रोम रोम मेरा मुस्कराता रहा।
मोहब्बत की हवा शीत चलती रही,
तन मन में प्रेम अग्नि जलाता रहा।
सुंदर मुखड़ा लगे चाँद का टुकड़ा,
रजत सी चाँदनी में लुभाता रहा।
मनसीरत बावरा बन पागल हुआ,
पागलपन में अनुराग लुटाता रहा।
******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)