अच्छे वक्त की वसीयत
अच्छे वक़्त ने जब अपना वसीयत बदला
मौकापरस्तों का तपाक से नीयत बदला
अच्छे वक़्त की हिस्सेदारी
कमतर ही मिलती है
पर उसके बाद परिश्रम के बल
बेहतर ही मिलती है
जमाना जब आदमी की कदर करना भूल गया तो,
ज़माने के हिसाब से आदमी ने आदमीयत बदला
अच्छे वक़्त ने जब अपना वसीयत बदला
मिजाज़ आदमी का झट से बदल जाता है
जब ठेस लगती है तो अक्सर सम्भल जाता है
नासाजी दूर हुई जब इल्म हुआ हकीकत का,
फिर इस तरह से आदमी का तबियत बदला
अच्छे वक़्त ने जब अपना वसीयत बदला
जिन्दगी कट रही थी सहारों का ओट
लेकर
न दिखने वाले अनगिनत बड़े चोट
लेकर
हकीकत जानते हुए भी लोग चोट पर
चोट दिए,
इसकदर मेरा उनके लिए अहमियत
बदला
अच्छे वक़्त ने जब अपना वसीयत
बदला
-सिद्धार्थ गोरखपुरी