अच्छा लगता है
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पीले पत्तों का झर जाना, अच्छा लगता है।
फिर से नव किसलय हरियाना, अच्छा लगता है।। 1
आमों की डाली पर लगता, बौर महकने जब,
बागों में कोयल का गाना, अच्छा लगता है।। 2
तन-मन हर्षाती सरसों के, फूलों की खुशबू,
कोमल कलियों का गदराना, अच्छा लगता है।। 3
जिनसे बिन्दु टपकते मधु के, लोभी भ्रमरों को-
उन अधरों से अधर मिलाना, अच्छा लगता है।। 4
तरु की सुघर टहनियों पर फल, आते ही उनका,
विनम्रता से शीश झुकाना, अच्छा लगता है।। 5
प्रकृति भला ही करती सबका, नित नूतन विधि से,
उसका निज कर्त्तव्य निभाना, अच्छा लगता है।। 6
दिल की बातें जो कह लेता, सुन लेता ‘निश्छल’,
मित्र वही जाना-पहचाना, अच्छा लगता है।। 7
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-श्रीकान्त निश्छल, प्रज्ञालोक, मोहमदी, उ.प्र.