Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2024 · 1 min read

अच्छा लगता है!

अच्छा लगता है!
लिखकर कुछ सच्चा लगता है।
खुद को जिंदा पाती हूँ, मन से और मुस्काती हूँ।
गीत फ़िर गुनगुनाती हूँ, राह पर बढ़ती जाती हूँ।।

शायरी नहीं कल्पना है, शायद है मन का अहम्।
नहीं!!! रोक खुद को, मर जाएगी इक दिन।।
शौक जुनून बनता जा रहा है,
मन बस धक्के खा रहा है।

क्या यह प्रतिकार मांगेगा?
क्या यह अधिकार मांगेगा?
क्या दुनिया, फिर से बनेगी?
क्या मन को कभी शांति मिलेगी?

राम ने जिसे ठुकराया है,
किसने फिर उसको अपनाया है?
पश्चाताप में जलती है,
रुह हरदम मचलती है।।
बगिया में फूल खिलता है,
मन मैला-मैला फिरता है।
न अब सवेरा होता है,
चहुंओर अंधेरा होता है।
मंज़िल का नहीं पता हमको,
थोड़े में गुजारा होता है।
मां बाप मेरे भी हैं घर पर,
लिखने से न बसेरा होता है।

सोचा करती हूं छोड़ दूँ लिखना,
फ़िर! सहसा-सा लगता है।

मरने से क्या हल निकलेगा?
जीवन है! सब चलता है!!!

– ‘कीर्ति’

Language: Hindi
1 Like · 82 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (सातवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
बहुत अरमान लिए अब तलक मैं बस यूँ ही जिया
बहुत अरमान लिए अब तलक मैं बस यूँ ही जिया
VINOD CHAUHAN
जीवन है मेरा
जीवन है मेरा
Dr fauzia Naseem shad
कहते हैं लोग
कहते हैं लोग
हिमांशु Kulshrestha
दिखा दूंगा जहाँ को जो मेरी आँखों ने देखा है!!
दिखा दूंगा जहाँ को जो मेरी आँखों ने देखा है!!
पूर्वार्थ
आशा की एक किरण
आशा की एक किरण
Mamta Rani
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
चाँदनी रातों में बसी है ख़्वाबों का हसीं समां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जो बीत गया है उसे भुला नहीं पाते हैं
जो बीत गया है उसे भुला नहीं पाते हैं
Sonam Puneet Dubey
*जो सहनशील है कभी नहीं, अधिकार जगत में पाएगा (राधेश्यामी छंद
*जो सहनशील है कभी नहीं, अधिकार जगत में पाएगा (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
सबसे सुगम हिन्दी
सबसे सुगम हिन्दी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
" तुतारी "
Dr. Kishan tandon kranti
मैं लिखता हूँ
मैं लिखता हूँ
DrLakshman Jha Parimal
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
1
1
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अहंकार
अहंकार
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
कवि रमेशराज
दोस्त बताती थी| वो अब block कर गई है|
दोस्त बताती थी| वो अब block कर गई है|
Nitesh Chauhan
"कामदा: जीवन की धारा" _____________.
Mukta Rashmi
क्यों जिंदगी अब काली रात है
क्यों जिंदगी अब काली रात है
Chitra Bisht
इश्क
इश्क
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*देखो मन में हलचल लेकर*
*देखो मन में हलचल लेकर*
Dr. Priya Gupta
बेघर एक
बेघर एक "परिंदा" है..!
पंकज परिंदा
"ज्ञान रूपी आलपिनो की तलाश के लिए चूक रूपी एक ही चुम्बक काफ़ी
*प्रणय*
जो दूर हो जाए उसे अज़ीज़ नहीं कहते...
जो दूर हो जाए उसे अज़ीज़ नहीं कहते...
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
गिरगिट को भी अब मात
गिरगिट को भी अब मात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डी. के. निवातिया
एकांत चाहिए
एकांत चाहिए
भरत कुमार सोलंकी
Loading...