Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Jul 2023 · 3 min read

अच्छाई बनाम बुराई :- [ अच्छाई का फल ]

एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी । वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था ।

एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रास्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता-
” जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा । ”

दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा। वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता-
” जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा । ”

वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी कि
” कितना अजीब व्यक्ति है, एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका । ”

एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली- ” मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी । ”

और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को खिड़की पर रखने की कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह
” हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी ? ”

और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे की आँच में जला दिया । एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दीं ।

हर रोज़ की तरह वह कुबड़ा आया और रोटी लेके ” जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा ” बड़बड़ाता हुआ चला गया । इस बात से बिलकुल बेख़बर की उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है…

हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र की सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी ।

ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है । वह पतला और दुबला हो गया था । उसके कपड़े फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था ।

जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- “माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ…
आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया… मैं मर गया होता..!!

लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था । उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया । भूख के मारे मेरे प्राण निकल रहे थे, मैंने उससे खाने को कुछ माँगा । उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि-
” मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो । ”

जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया । उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?

और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था-
जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा ।

शिक्षा:-

हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..!!

प्रभु कहते है की तुम कर्म किये बिना फल की कल्पना नहीं की जा सकती ।।
और कर्म अगर तुम अच्छा करोगे तो कर्म का फल जरूर अच्छा ही मिलेगा ।।

।। कर्म का फल मीठा ही होता है ।।

।। अमीन ।।

308 Views

You may also like these posts

मूक संवेदना
मूक संवेदना
Buddha Prakash
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
Ajay Mishra
परिवर्तन ही स्थिर है
परिवर्तन ही स्थिर है
Abhishek Paswan
तस्वीरों का सच
तस्वीरों का सच
Chitra Bisht
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
करता था सम्मान, तभी तक अपना नाता।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कवि और केंकड़ा
कवि और केंकड़ा
guru saxena
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
जाने कब पहुंचे तरक्की अब हमारे गांव में
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
एक जरूरी खत
एक जरूरी खत
Anil Kumar Mishra
हौंसले को समेट कर मेघ बन
हौंसले को समेट कर मेघ बन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
छल फरेब
छल फरेब
surenderpal vaidya
The Magical Darkness.
The Magical Darkness.
Manisha Manjari
* ------कृष्ण ---*
* ------कृष्ण ---*
श्रीहर्ष आचार्य
" नम पलकों की कोर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
शाकाहारी बनो ..
शाकाहारी बनो ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
जिंदगी हमेशा इम्तिहानों से भरा सफर है,
जिंदगी हमेशा इम्तिहानों से भरा सफर है,
Mamta Gupta
उपासक लक्ष्मी पंचमी के दिन माता का उपवास कर उनका प्रिय पुष्प
उपासक लक्ष्मी पंचमी के दिन माता का उपवास कर उनका प्रिय पुष्प
Shashi kala vyas
कलियां उनके लिए गिराना थोड़ी लाकर
कलियां उनके लिए गिराना थोड़ी लाकर
Sarla Mehta
Umbrella
Umbrella
अनिल मिश्र
रतन टाटा
रतन टाटा
Satish Srijan
■ आज का आखिरी शेर।
■ आज का आखिरी शेर।
*प्रणय*
"पुकारता है चले आओ"
Dr. Kishan tandon kranti
विषय-मेरा गाँव।
विषय-मेरा गाँव।
Priya princess panwar
सुखी होने में,
सुखी होने में,
Sangeeta Beniwal
मडमिंग (गोंडी विवाह) की संकल्पना
मडमिंग (गोंडी विवाह) की संकल्पना
GOVIND UIKEY
दिया ज्ञान का भंडार हमको,
दिया ज्ञान का भंडार हमको,
Ranjeet kumar patre
सोचा ना था ऐसे भी जमाने होंगे
सोचा ना था ऐसे भी जमाने होंगे
Jitendra Chhonkar
कान्हा
कान्हा
Mamta Rani
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
कवि रमेशराज
आत्म मंथन
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
Loading...