अच्छाई और बुराई
!!अच्छाई और बुराई!!
जब मैं सोचता हूँ
कि बुराई कहाँ से आया,
तो सोचना पड़ता है
कि अच्छाई कहाँ से आया।
जब मैं सुनता हूँ
कि राम अच्छे थे रावण बुरा था,
तो सोचना पड़ता है
कि रावण के बिना राम का क्या था।
जब मैं खुद से पूछता हूँ
कि रावण न होता
तो क्या राम होते?
सीता का हरण न होता
तो क्या वे लंका जाते?
जब मैं सोचता हूँ
कि संसार में बुराई नहीं होता
तो क्या होता?
महिषासुर नहीं होता
तो महिषासुरमर्दिनि का क्या होता?
कंस नहीं होता
तो कृष्ण का जन्म कैसे होता?
जब मैं पुनः सोचता हूँ
तो खुद से जबाब भी पाता हूँ
कि अच्छाई और बुराई तो
एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
जहाँ से वह आता है वहीं से वह भी आता है।
जहाँ पर वह रहता है वहीं पर वह भी रहता है।
अच्छाई का बुराई से ,
बुराई का अच्छाई से,
वहीं नाता है।
जो एक को याद करने पर,
दूसरा खुद ही याद आता है।
कुन्दन सिंह बिहारी मा०शिक्षक (उ०मा०वि०अकाशी)
सासाराम रोहतास