अचानक
“अचानक”
ज़िन्दगी में यूं अचानक कुछ भी नहीं होता
हर वाक़ए की एक अपनी कहानी होती है
अचानक की बात, वही लोग करते हैं, जिन्हें
जानते बूझते कोई कहानी झुठलानी होती है
राह हमारी ही चुनी हुई होती है यहां अक्सर
मंज़िलें भी अमूमन, जानी पहचानी होती हैं
बतलाना अचानक को नाकामियों की वज़ह
बेहद ग़ैरज़िम्मेदार, होने की निशानी होती है
आज, चढ़ता है परवान, कल ही के तजुर्बों पे
कल की नींवों में कोशिशें बड़ी पुरानी होती हैं
आइए इस अचानक को छोड़ दें, हम उसीके हाल पे
सोची-समझी तजवीज से, हर शाम, सुहानी होती है
~ नितिन जोधपुरी “छीण”