Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2021 · 3 min read

‘अचानक’

घर में ढोलक की थाप पर मंगल गान अपनी छटा बिखेरे थे..फूफा जी और मम्मी एक दूसरे की खिंचाई करते-करते डांस में खोये थे। रंग में भंग तब पड़ा जब अचानक मेरा फ़ोन बजा.. चीफ मैनेजर का फोन था..
“संकल्प मैं जानता हूॅं तुम व्यस्त होगे, पर तुम्हें अर्जेंट पेपर्स लेकर अयोध्या जाना पड़ेगा, मैं गाड़ी भेज रहा हूॅं, कल लौट आना, और हाॅं सब कुछ सीक्रेट रखना”
मेरे साथ-साथ और सब भी उदास हो गये..”क्या दादा आज भी ..” कहकर मेरी छोटी बहन का चेहरा लटक गया।
अंदर-अंदर मैं भी चिढ़ गया था पर..ये नौकरी भी ना.. मैं भुनभुनाता हुआ तैयारी में लग गया..
मुझे अपनी होने वाली जीवन-संगिनी की याद आने लगी, कल हम लोग विवाह के पवित्र बंधन में बॅंधने वाले हैं.. सोच के उसका मासूम सा चेहरा और भोली सी हॅंसी याद आ गई। पता ही नहीं चला कि उसको सोचते-सोचते..कब मैं गाड़ी में बैठा-बैठा अयोध्या पहुॅंच गया। मीटिंग खत्म होते-होते रात ज्यादा हो गई, मैं थका भी था, खुश भी कि सब निपट गया..ऐसे सोया कि सुबह ऑंख खुली.. मैं उसकी बातों को याद करते हुए घर पहुॅंच गया..पर ये क्या? पूरे घर में इतना सन्नाटा! मैं स्तब्ध..
“माॅं.. कहाॅं हो सब लोग?”
“भइया..” कहकर मेरी छोटी बहन दौड़ कर मेरे पास आई और कसकर मुझसे चिपक कर रोने लगी..
मैं अवाक! एक रात में ऐसा क्या हो गया?
“माॅं कहाॅं है नीरू?”
“भइया..वो..वो..”थरथराती सी नीरू बोल नहीं पाई..
तबतक दादी आ गयीं..”क्या हुआ दादी? सब कहाॅं हैं?”
“बेटा .. सुलभा से तुम्हारा विवाह नहीं हो सकता..”
“पर क्यों दादी” मैंने लगभग चीखते हुए पूछा!
“कल उसके घर में डकैती पड़ गई है, और गुंडों ने उसकी इज्जत लूट ली, उसके माॅं-बाप के सामने..और इतनी पिटाई की कि दोनों के प्राण पखेरू हो गये”
कहकर दादी काॅंपने लगी..
“नहीं.. नहीं दादी ऐसा नहीं हो सकता”
मैं फफक कर रो पड़ा.. मेरे सामने सुलभा का भोला सा चेहरा घूम गया.. इतना सुंदर चेहरा कि मैं अपने भाग्य पर इठलाता फिर रहा था..
“सुलभा..मेरी सुलभा कहाॅं है दादी?”
“अब उसके बारे में सोचना छोड़ दे..अब वो तेरे लायक नहीं रही..”दादी ने कड़े शब्दों में कहा।
“कैसी बात कर रही हैं दादी आप? उस पर विपत्ति आई है, वो उस घर में अकेले.. आप लोगों में से कोई वहाॅं गया नहीं”?
मैंने बहुत गुस्से में पूछा और तीर की तरह घर से निकल गया। मेरे दिमाग में सुलभा का घर.. खिलखिलाती हुई माॅं.. सकुचाते हुए बाबूजी का चेहरा घूम रहा था।
घर के दरवाजे पर पहुॅंचते ही मन हाहाकार कर उठा.. जिस घर में बारात आनी थी… दो-दो शव पड़े थे.. चेहरों पर दर्द ही दर्द!
उफ! मैं काॅंपते कदमों से भीतर घुसा..
“माॅं..आप यहाॅं? मैं चीख-चीख कर रोने लगा..ये क्या हो गया माॅं..”
मैं अपनी माॅं को वहाॅं देखकर खुद पर काबू नहीं रख पाया और उनसे लिपट कर रो पड़ा।
“संकल्प हिम्मत से काम ले, जा सुलभा को सॅंभाल!”
मैं सहसा अपने दु:ख से बाहर आया..
“कहाॅं है वो?”
माॅं ने हाथ से इशारा किया.. बिस्तर पर निढाल सी ऑंखें मूॅंदें.. ऑंसू सूख कर चिपके दिख रहे थे..उफ! मेरा कलेजा मुॅंह को आ रहा था..
“माॅं.. पापा, चाचा को बुलवा लीजिए..इन दोनों के अंतिम संस्कार के लिए और सुलभा को घर ले चलिए..” मैंने निढाल होते हुए कहा..
“तुम्हारी दादी ने शादी से इंकार कर दिया है बेटा” माॅं ने बहुत धीरे से कहा..
“और आप?आप क्या सोचती हैं माॅं? इसकी क्या गलती है? मैं इसे यूॅं ही अकेला छोड़ दूॅं? नहीं माॅं, सुलभा अब मेरी है, इसको घर ले चलिए..इसकी तबियत ठीक होते ही हमारी शादी होगी माॅं”
मैं भावावेश में रोने लगा।
“हाॅं बेटा.. हम इसे घर ले चलेंगे.. इसकी कोई गलती नहीं, मुझे तुम पर गर्व है बेटा!”
कहकर माॅं ने मुझे गले से लगा लिया..
मैंने सुलभा के माथे पर चुंबन अंकित किया, उसकी ऑंखों में अपने लिए प्यार और सम्मान का भाव देखकर भाव-विह्वल हो उठा, माॅं से उसका ख़्याल रखने को कहकर आगे की तैयारियों में लग गया।

समाप्त

स्वरचित
रश्मि संजय श्रीवास्तव
रश्मि लहर
लखनऊ

7 Likes · 13 Comments · 523 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम्हें जन्मदिन मुबारक हो
तुम्हें जन्मदिन मुबारक हो
gurudeenverma198
स्वार्थी नेता
स्वार्थी नेता
पंकज कुमार कर्ण
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*** एक दौर....!!! ***
*** एक दौर....!!! ***
VEDANTA PATEL
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
भीनी भीनी आ रही सुवास है।
Omee Bhargava
"ऐनक"
Dr. Kishan tandon kranti
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
* मायने हैं *
* मायने हैं *
surenderpal vaidya
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
*शादी के पहले, शादी के बाद*
*शादी के पहले, शादी के बाद*
Dushyant Kumar
सच्ची दोस्ती -
सच्ची दोस्ती -
Raju Gajbhiye
दीपावली की असीम शुभकामनाओं सहित अर्ज किया है ------
दीपावली की असीम शुभकामनाओं सहित अर्ज किया है ------
सिद्धार्थ गोरखपुरी
माँ से मिलने के लिए,
माँ से मिलने के लिए,
sushil sarna
"" *पेड़ों की पुकार* ""
सुनीलानंद महंत
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
अगर दिल में प्रीत तो भगवान मिल जाए।
Priya princess panwar
आज कल कुछ लोग काम निकलते ही
आज कल कुछ लोग काम निकलते ही
शेखर सिंह
मुझे तुमसे अनुराग कितना है?
मुझे तुमसे अनुराग कितना है?
Bodhisatva kastooriya
विनती
विनती
Kanchan Khanna
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर (कुंडलिया)
रोजाना आने लगे , बादल अब घनघोर (कुंडलिया)
Ravi Prakash
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
Sanjay Narayan
धिक्कार उन मूर्खों को,
धिक्कार उन मूर्खों को,
*प्रणय प्रभात*
नव प्रबुद्ध भारती
नव प्रबुद्ध भारती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet kumar Shukla
2962.*पूर्णिका*
2962.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फल और मेवे
फल और मेवे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
ठंडक
ठंडक
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
संतुलित रहें सदा जज्बात
संतुलित रहें सदा जज्बात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
परवरिश
परवरिश
Shashi Mahajan
कलम वो तलवार है ,
कलम वो तलवार है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...