अचानक तुम बदल गए
हमें इस तरह छोड़कर
तुम्हें जाना नहीं था पर
यकायक वक़्त यूँ बदला
अचानक तुम बदल गए।
अधूरे ख़्वाब थे शायद
जो तुमकों भारी लगते थे
कुचलकर ख़्वाब पैरों से
सारा ग़म तुम निगल गए।
हमारे सबके कानों में
तुमने एक दर्द गाया है
छोड़ हमको बिलगते हुए
सफ़र पे तुम निकल गए।
मुझे पूरा यकीं है तुम
आसमाँ में कहीं बैठे
रोते हो याद कर-करके
कैसे तुम यूँ फिसल गए।
Johnny Ahmed’ क़ैस’