Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2022 · 1 min read

अचानक तुम बदल गए

हमें इस तरह छोड़कर
तुम्हें जाना नहीं था पर
यकायक वक़्त यूँ बदला
अचानक तुम बदल गए।
अधूरे ख़्वाब थे शायद
जो तुमकों भारी लगते थे
कुचलकर ख़्वाब पैरों से
सारा ग़म तुम निगल गए।
हमारे सबके कानों में
तुमने एक दर्द गाया है
छोड़ हमको बिलगते हुए
सफ़र पे तुम निकल गए।
मुझे पूरा यकीं है तुम
आसमाँ में कहीं बैठे
रोते हो याद कर-करके
कैसे तुम यूँ फिसल गए।

Johnny Ahmed’ क़ैस’

Language: Hindi
210 Views

You may also like these posts

स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बन के देखा है मैंने गुलाब का फूल,
बन के देखा है मैंने गुलाब का फूल,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शाश्वत और सनातन
शाश्वत और सनातन
Mahender Singh
ख़ूबसूरती का असली सौंदर्य व्यक्ति की आत्मा के साथ होता है, न
ख़ूबसूरती का असली सौंदर्य व्यक्ति की आत्मा के साथ होता है, न
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जीवन में कितना ही धन -धन कर ले मनवा किंतु शौक़ पत्रिका में न
जीवन में कितना ही धन -धन कर ले मनवा किंतु शौक़ पत्रिका में न
Neelam Sharma
छठ माता
छठ माता
Dr Archana Gupta
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
श्री गणेश भगवान की जन्म कथा
श्री गणेश भगवान की जन्म कथा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
होटल में......
होटल में......
A🇨🇭maanush
ले चल साजन
ले चल साजन
Lekh Raj Chauhan
यारा  तुम  बिन गुजारा नही
यारा तुम बिन गुजारा नही
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जय श्री राम
जय श्री राम
Neha
मेरे वतन सूरज न निकला
मेरे वतन सूरज न निकला
Kavita Chouhan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Phool gufran
सरकार अपराध पर तो नियंत्रण रख सकती है पर किसी के मन पर नहीं
सरकार अपराध पर तो नियंत्रण रख सकती है पर किसी के मन पर नहीं
Rj Anand Prajapati
स्मृतियां हैं सुख और दुख
स्मृतियां हैं सुख और दुख
Seema gupta,Alwar
प्रेरणा
प्रेरणा
Sunil Maheshwari
" बकरी "
Dr. Kishan tandon kranti
दुनिया से सीखा
दुनिया से सीखा
Surinder blackpen
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
कोहरे के दिन
कोहरे के दिन
Ghanshyam Poddar
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
तीन मुक्तकों से संरचित रमेशराज की एक तेवरी
कवि रमेशराज
हम सभी नक्षत्रों को मानते हैं।
हम सभी नक्षत्रों को मानते हैं।
Neeraj Agarwal
स्काई लैब
स्काई लैब
Kumar Kalhans
मेरे हिंदुस्तान में
मेरे हिंदुस्तान में
vivek saxena
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
डॉ. दीपक मेवाती
मेरे यार सारे किसी परिवार से कम नहीं...!!
मेरे यार सारे किसी परिवार से कम नहीं...!!
Ravi Betulwala
मेरे प्रेम पत्र
मेरे प्रेम पत्र
विजय कुमार नामदेव
रात बीती चांदनी भी अब विदाई ले रही है।
रात बीती चांदनी भी अब विदाई ले रही है।
surenderpal vaidya
Loading...