*अग्रसेन के वंशज हम (गीत)*
अग्रसेन के वंशज हम (गीत)
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अग्रसेन के वंशज हम, आराधक शाकाहार के
(1)
हमने ही यज्ञों में पशुओं की बलि थी रुकवाई
हमने ही पशु की ऑंखों में आत्म-भावना पाई
हुए अहिंसक सर्वप्रथम, हम जग में शुभ्र विचार के
(2)
यह हम ही हैं युगों-युगों से नहीं मांस जो खाते
यह हम ही हैं नहीं स्वाद के कारण मांस पकाते
दूध सब्जियॉं फल सात्विक, शुभ साधन हैं सत्कार के
(3)
हम ने ही सबसे पहले थी मानवता अपनाई
जियो और जीने दो की वाणी नभ में गुंजाई
हर प्राणी में दर्शन हम, करते हैं निज-आकार के
अग्रसेन के वंशज हम, आराधक शाकाहार के
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ. प्र.)
मोबाइल 99976 15451