Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Nov 2021 · 4 min read

अग्रचिंतन पत्रिका 2021

अग्रवाल समाज के जागरण की अग्रदूत : अग्रचिंतन पत्रिका
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
समीक्षक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
अग्रचिंतन का वर्ष 24 महाराजा अग्रसेन जयंती विशेषांक 2021 मेरे समक्ष है । नागपुर (महाराष्ट्र) से प्रकाशित “संस्कार एवं प्रेरणा प्रधान सामाजिक प्रकाशन” के लक्ष्य को सामने रखकर चलने वाली यह पत्रिका अपनी लेखकीय सामग्री की विशिष्टता और उसकी नयनाभिराम प्रस्तुति के कारण समस्त अग्रवाल जगत में सिरमौर कही जाएगी । 9 इंच × 7 इंच आकार की 88 पृष्ठ की संपूर्णतया रंगीन चिकने कागज पर प्रकाशित इस पत्रिका का केवल कवर ही मनोहारी नहीं है ,इसका हर पृष्ठ अद्भुत आकर्षण की छटा बिखेर रहा है।
पत्रिका में संपादकीय एक बार फिर अग्रवाल समाज को अपने पुरातन मूल्यों का स्मरण दिलाता हुआ जान पड़ता है। कुछ प्रेरणादायक अंशों का रसास्वादन आप भी करिए । आधुनिकता की दौड़ में कहीं हम अपने आदर्शों को ही विस्मृत न कर दें, संपादक दुर्गा प्रसाद हरिकिशन अग्रवाल को इस लक्ष्य का भली-भांति ज्ञान है । इसीलिए वह लिखते हैं :-
“आर्थिक प्रगति और शहरीकरण के दौर में परंपरागत जीवन मूल्यों को भारी क्षति पहुंची है । परिवार और समाज में संवाद कम होता जा रहा है । नई पीढ़ी के रहन-सहन व चिंतन पर विदेशी उपभोक्ता संस्कृति का प्रभाव बढ़ता चला जा रहा है। पुराने उद्योग घराने अपना सामाजिक नैतिक दायित्व समझते थे और समाज के विकास में अपना योगदान स्वेच्छा से करते थे । आज अधिकाधिक मुनाफा कमाने का दौर जारी है । वह आज उस समाज को कुछ देना नहीं चाहते जिसने उन्हें इतना बड़ा बनाया है। निजी स्वार्थ के साथ परमार्थ की भावना भी होनी चाहिए।”( प्रष्ठ 19 ) यह जो परमार्थ का भाव है वह पत्रिका को ऊंचे दर्जे की सामाजिकता से ओतप्रोत बना रहा है । आज इसी की आवश्यकता है।
युग प्रवर्तक महाराजा अग्रसेन शीर्षक लेख में डॉक्टर चंपालाल गुप्त ने इसी सोच को वृहद आकार देते हुए लिखा है:-
” महाराजा अग्रसेन को इस बात का श्रेय प्राप्त है कि उन्होंने नागरिकों को समान अधिकार प्रदान कर उनकी सोच को जाति – पाँति के संकीर्ण दायरों से बाहर निकाला और उसे राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया । उनकी यह सबसे बड़ी देन थी “(पृष्ठ 36)
“अग्रवाल समाज को अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए राजनीति में उतरना होगा, युवाओं का उचित मार्गदर्शन एवं महिलाओं को समाज के उत्थान के लिए प्रेरित करना होगा ।”- यह विचार गोविंद पोद्दार (प्रष्ठ 39) के ही नहीं अपितु अशोक बुवानीवाला के भी हैं जो उन्होंने सामाजिक संगठनों में अनेकता शीर्षक से लेख में प्रकट किए हैं ।(पृष्ठ 76)
अनेक सार्थक तथा प्रेरणादायक समाचार पत्रिका में दिए गए हैं । अग्रोहा में आद्य महालक्ष्मी का भव्य मंदिर शिला पूजन तथा अग्रोहा में भगवान अग्रसेन जी का जन्मोत्सव कार्यक्रमों की रिपोर्ट अपनी चित्रात्मक साज सज्जा के साथ पाठकों का ध्यान सहज ही आकृष्ट कर लेती है ।
पत्रिका में अग्रवाल समाज के अग्रगण्य महानुभावों के जीवन और विचारों को प्रमुखता से स्थान दिया गया है । इनमें स्वर्गीय श्री लाल चंद जी गर्ग ,स्वर्गीय राम स्वरूप अग्रवाल ,स्वर्गीय प्रकाश जी मेहड़िया तथा स्वर्गीय पुरुषोत्तम अग्रवाल के जीवन चरित्र प्रभावशाली हैं । सर्व श्री राजकुमार जैन ,ज्वाला प्रसाद अनिल ,महेश कुमार गोयल ,अश्विन मेहाड़िया , संदीप अग्रवाल ,प्रहलाद अग्रवाल आदि के कर्मठ कार्यों की प्रेरणादायक जानकारी पत्रिका ने सुलभ करा कर अपनी उपयोगिता और भी बढ़ा दी है ।
अग्रवाल समाज में अपने हुनर से भव्य स्टेज शो के आयोजन प्रदीप गुप्ता और पंकज दर्पण द्वारा आयोजित किए जाते रहे हैं । इन दोनों योजनाओं को पाठकों के पास तक ले जाकर पत्रिका ने एक अच्छे उत्तरदायित्व का निर्वहन किया है ।
पत्रिका में सर्वाधिक आकर्षण महात्मा गाँधी द्वारा सेठ जमुनालाल बजाज को लिखा गया वह पत्र है जिसमें गाँधी जी ने लिखा है :-
“इस समय अग्रवाल जाति स्वराज की महान जंग में अपना पूरा हिस्सा ले रही है । मैं जानता हूं कि मारवाड़ी कौम में धन है ,धर्मव्रत है ,दान देने का भाव है । आधुनिक प्रवृत्ति आत्म शुद्धि की और धर्म रक्षा की है । अग्रवाल भाई को बलिदान देने की शक्ति ईश्वर देवें ऐसी में प्रार्थना करता हूँ।”
महात्मा गांधी के इस पत्र से यह स्पष्ट होता है कि गांधीजी अग्रवाल समाज के अग्रणी व्यक्तियों द्वारा देश की स्वतंत्रता के लिए किए जाने वाले तप और बलिदान से न केवल भलीभांति परिचित थे अपितु उनकी सराहना भी करते थे । इस दृष्टि से अग्रचिंतन के तीन प्रष्ठ 82 83 84 में आजादी के अमर अग्रवाल सेनानी शीर्षक से लाला लाजपत राय ,लाला हुकुमचंद राम ,मनोहर लोहिया, सेठ जमनालाल बजाज आदि की संक्षिप्त जीवनियाँ संकलित करके उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई है ,यह एक सराहनीय कार्य है।
पत्रिका में डॉक्टर लोक मणि गुप्ता (बंसल) तथा नरेश अग्रवाल (जमशेदपुर) द्वारा लिखित कविताएं ध्यान आकृष्ट करती है । नरेश अग्रवाल जी की सुंदर पंक्तियां उद्धृत करना आवश्यक है :-

हजारों वर्ष पूर्व बताए थे तुमने /अपने अनेक बहुमूल्य सिद्धांत कार्यान्वित करके भी दिखलाया था उनको /और दी थी आज्ञा पूरा करते रहने की/ भविष्य में भी बार-बार /क्षमा करो नाथ/ आज हम सब कुछ भूल गए/ हो गए हैं कोरे कागज एक बार फिर से/ फिर से हैं हम रेत के खंडहर/ दिशाहीन भटक रहे हैं /जैसे हो कोई मूर्ख यात्री ”
(पृष्ठ 40 )
पत्रिका में रवि प्रकाश,रामपुर (उ.प्र.) का गीत महाराज श्री अग्रसेन को सौ – सौ बार प्रणाम हैं ( पृष्ठ 37 ) महाराजा अग्रसेन जी के सुंदर चित्र के साथ प्रकाशित हुआ है।
अपने आप में इस अनूठे विशेषांक के प्रकाशन के लिए पत्रिका के प्रकाशक एवं प्रधान संपादक दुर्गा प्रसाद हरि किशन जी अग्रवाल ,सह संपादक सविता दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ,विशेष सहयोगी अजय खेमानी अग्रवाल बधाई के पात्र हैं।
पत्रिका का पता इस प्रकार है :- अग्रचिंतन प्रकाशन ,महालक्ष्मी ऑफसेट प्रिंटर्स ,सेंट्रल बाजार रोड ,रामदासपेठ ,नागपुर 440010 मोबाइल 94221 04610

283 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
रेल दुर्घटना
रेल दुर्घटना
Shekhar Chandra Mitra
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
बारिश
बारिश
Punam Pande
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
Satya Prakash Sharma
हर दिन के सूर्योदय में
हर दिन के सूर्योदय में
Sangeeta Beniwal
" प्रिये की प्रतीक्षा "
DrLakshman Jha Parimal
चलो दो हाथ एक कर ले
चलो दो हाथ एक कर ले
Sûrëkhâ
अधूरी मुलाकात
अधूरी मुलाकात
Neeraj Agarwal
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
इस क्षितिज से उस क्षितिज तक देखने का शौक था,
Smriti Singh
हक़ीक़त है
हक़ीक़त है
Dr fauzia Naseem shad
प्रथम किरण नव वर्ष की।
प्रथम किरण नव वर्ष की।
Vedha Singh
*लम्हा  प्यारा सा पल में  गुजर जाएगा*
*लम्हा प्यारा सा पल में गुजर जाएगा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसद्दस मुज़ाफ़
बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसद्दस मुज़ाफ़
sushil yadav
सफलता का जश्न मनाना ठीक है, लेकिन असफलता का सबक कभी भूलना नह
सफलता का जश्न मनाना ठीक है, लेकिन असफलता का सबक कभी भूलना नह
Ranjeet kumar patre
“बप्पा रावल” का इतिहास
“बप्पा रावल” का इतिहास
Ajay Shekhavat
शिव मिल शिव बन जाता
शिव मिल शिव बन जाता
Satish Srijan
"हम मिले थे जब, वो एक हसीन शाम थी"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
नया साल
नया साल
अरशद रसूल बदायूंनी
इश्क़ का माया जाल बिछा रही है ये दुनिया,
इश्क़ का माया जाल बिछा रही है ये दुनिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं मित्र समझता हूं, वो भगवान समझता है।
मैं मित्र समझता हूं, वो भगवान समझता है।
Sanjay ' शून्य'
* भावना में *
* भावना में *
surenderpal vaidya
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
"सपने"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कबीर ज्ञान सार
कबीर ज्ञान सार
भूरचन्द जयपाल
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
शेखर सिंह
इस नये दौर में
इस नये दौर में
Surinder blackpen
ख्वाहिशों की ज़िंदगी है।
ख्वाहिशों की ज़िंदगी है।
Taj Mohammad
नया जमाना आ गया, रही सास कब खास(कुंडलिया)
नया जमाना आ गया, रही सास कब खास(कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...