अग्नि पथ के अग्निवीर
हे अग्नि पथ के अग्निवीर
अभी तक गंभीर होकर
तुम कर रहे थे आंदोलन
फिर क्यों कर लिया है
तुमने यह उग्र रूप धारण।
क्यों अपने हाथों तुम अपने
ही पैरों पर कुल्हारी मार रहे हो
क्यों अपने ही सुविधा वाले
संपत्ति का नुकसान खुद
तुम अपने हाथों पहुँचा रहे हो।
सोचना धीर धरकर तुम
यह जो तुम ट्रेन, बस ,ट्रक
और सरकारी संपति में
जो आग लगा रहे हो
यह किसके पैसो से खरीदा जाता है।
यह संपत्ति किसी नेता का नही है,
बल्कि यह संपत्ति हमारे और
तुम्हारे टैक्स के पैसो से ही
खरीदा गया है और फिर
इसकी भरपाई भी हमारे ही
पैसो से होगा।
माना की इतने सालों की तपस्या पर
इस नियम के तहत तुम्हारे
जख्मों पर नमक छिड़का गया है
तुम्हारे उम्मीद, तुम्हारे सपनों
को रौंदा गया है।
पर हे अग्निपथ के अग्निवीर
यह अनामिका हाथ जोड़कर
कर रही है आप सब से अपील
आप विद्यार्थी है आप उग्रवादी न बने
आप भुले नही की आप उस
देश के वासी है
जहाँ अहिंसा से देश आजाद कराया गया था।
आप भी अहिंसा के पथ पर
चलकर अपनी मांग रख सकते है
इसके लिए क्यों आप हिंसक बन रहे है।
एकबार सोचकर देखना की
जो आप कर रहे हो उसमे
नुकसान किसका है।
~अनामिका