//…अगर…//
//…अगर…//
अगर मैं तेरा ,
तुम मेरी होती…!
तेरी हर अदा ,
मुझे वफा लगता.
मेरी हर वफा ,
तुझे अदा लगती.
तेरी हर अदा पर ,
मैं आह करता.
मेरी हर आह पर ,
तुम अदा करती.
अगर मैं तेरा ,
तुम मेरी होती…!
—— ——— ——
अगर मैं वफा ,
तुम बेवफा होती…!
तेरी हर अदा पर ,
मुझे दर्द होता.
मेरे हर दर्द पर ,
तुझे जख्म होता.
तेरे हर जख्म पर ,
मुझे हंसी आती .
मेरे हर हंसी पर ,
तुझे रोना आता.
अगर मैं वफा ,
तुम बेवफा होती…!
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव (छत्तीसगढ़)