अगर हो तुम सजग
अगर हो तुम सजग
हो कर निर्भय सामना करो विपत्तियों का
वर्णन ना कर किसी से आयाम अपने साहस का,
वृष्टि हो गर घना,बादल छाए घनघोर घना
तू कभी रुक मत,तू कभी रुक मत
अगर हो तुम सजग।।..२
अगर हो तुम सजग
हो कर निर्भय सामना करो विपत्तियों का
वर्णन ना कर किसी से आयाम अपने साहस का,
वृष्टि हो गर घना,बादल छाए घनघोर घना
तू कभी रुक मत,तू कभी रुक मत
अगर हो तुम सजग।।..२