अगर है इश्क तो (ग़ज़ल)
हमें खुद को नहीं इतना सताना चाहिए था
गमेंदिल मुस्कुरा कर भूल जाना चाहिए था
अगर है इश्क तो खुलके जताना चाहिए था
जो जलते हैं उन्हें यारों जलाना चाहिए था
गली में आजकल उस चांद की चर्चे बहुत हैं
निगाहें शौक से यूं देख आना चाहिए था
हमारी तो मुहब्बत को समझती है शरारत
हमें क्या चीर के ये दिल दिखाना चाहिए था
अधूरे इश्क यूं कर वो, न जाती दूर हमसे
हमें तो इश्क किश्तों पे लुटाना चाहिए था
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल