Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2017 · 1 min read

अगर सत्ता न हिल जाये तो फिर ये खून कैसा है

अगर सत्ता न हिल जाये तो फिर ये खून कैसा है
◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆★◆
हमें जो रोटियाँ वापस मिली ना तो समझ लेना
अगर मुश्किल हुआ जीना हमारा तो समझ लेना
कि अब तो जिंदगी जैसे खिलौना हो गयी है यह
उतारू हो गया जिद पे खिलौना तो समझ लेना
★★★
किसी की रोटियाँ छीनें भला कानून कैसा है
हमारा हक नहीं देता तो अफलातून कैसा है
सभी हम मर रहे लेकिन सियासत मौज है करती
अगर सत्ता न हिल जाये तो फिर ये खून कैसा है
★★★
हमें खुशहाल करना था मगर बरबाद कर डाला
हमारे दिल को गम से है बहुत आबाद कर डाला
हमें तो सिर्फ इज्जत के लिए संघर्ष करना था
मगर गूंगो व बहरों से तूने संवाद कर डाला
★★★
ये धरना और चलने दो ये धरना और चलने दो
कि पापी हैं सियासतदां न डरना और चलने दो
हमें जबतक नहीं मिलता हमारा हक सुनों साथी
नहीं ये भीख तुम स्वीकार करना और चलने दो

– आकाश महेशपुरी

Language: Hindi
811 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
20)”“गणतंत्र दिवस”
20)”“गणतंत्र दिवस”
Sapna Arora
पुरुष की चीख
पुरुष की चीख
SURYA PRAKASH SHARMA
हम सुख़न गाते रहेंगे...
हम सुख़न गाते रहेंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुस्कुराती  बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
मुस्कुराती बेटियों पे गिर रही है बिजलियाँ
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
शब्द ब्रह्म अर्पित करूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
4133.💐 *पूर्णिका* 💐
4133.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
तेरी सूरत में मोहब्बत की झलक है ऐसी ,
तेरी सूरत में मोहब्बत की झलक है ऐसी ,
Phool gufran
जून की कड़ी दुपहरी
जून की कड़ी दुपहरी
Awadhesh Singh
भय -भाग-1
भय -भाग-1
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
जिंदगी के तूफ़ानों की प्रवाह ना कर
VINOD CHAUHAN
श्री चरण नमन
श्री चरण नमन
Dr.Pratibha Prakash
*जलते हुए विचार* ( 16 of 25 )
*जलते हुए विचार* ( 16 of 25 )
Kshma Urmila
That's success
That's success
Otteri Selvakumar
हिन्दी ग़ज़ल
हिन्दी ग़ज़ल " जुस्तजू"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
कवि रमेशराज
देख चिता शमशान में,
देख चिता शमशान में,
sushil sarna
अलग-थलग रहना तो उल्लुओं व चमगादड़ों तक को पसंद नहीं। ये राजरो
अलग-थलग रहना तो उल्लुओं व चमगादड़ों तक को पसंद नहीं। ये राजरो
*प्रणय*
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
Neeraj Agarwal
सुबह आंख लग गई
सुबह आंख लग गई
Ashwani Kumar Jaiswal
"विजेता"
Dr. Kishan tandon kranti
देशभक्ति
देशभक्ति
पंकज कुमार कर्ण
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
शिव प्रताप लोधी
बचपन के दिन
बचपन के दिन
Surinder blackpen
*नर से कम नहीं है नारी*
*नर से कम नहीं है नारी*
Dushyant Kumar
*रामलला त्रेता में जन्में, पूर्ण ब्रह्म अवतार हैं (हिंदी गजल
*रामलला त्रेता में जन्में, पूर्ण ब्रह्म अवतार हैं (हिंदी गजल
Ravi Prakash
प्रेरणा
प्रेरणा
Shyam Sundar Subramanian
यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह (विश्व पृथ्वी दिवस)
यह पृथ्वी रहेगी / केदारनाथ सिंह (विश्व पृथ्वी दिवस)
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
संजीव शुक्ल 'सचिन'
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
तुम जो कहते हो प्यार लिखूं मैं,
Manoj Mahato
Loading...