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15 Oct 2023 · 1 min read

अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ, तो इस कविता के भावार

अगर मेरे अस्तित्व को कविता का नाम दूँ, तो इस कविता के भावार्थ की रचना करने का साध्य किसी रचयिता में नहीं है ।
अगर मेरे हृदय को सरिता का नाम दूँ तो उसे सुखाने की क्षमता किसी में मौजूद नहीं है।
अगर मेरे चैन को सम्पत्ति का नाम दूँ तो उसे हरने के अधिकार के अधिकारी केवल गिरिधारी ही हैं।
🙏🏻🙏🏻

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