अगर मेरी भी उम्र लड़कों के समान होती
मैं लड़की हूं गर्व है मुझे खुद पर…
एक दिन कुछ कर दिखाऊंगी भरोसा है मुझे मुझ पर….
नहीं थकूंगी, नहीं डरूंगी, अपने लिए खुद लडूंगी….
भारत माता की सबसे अच्छी बेटी बनूंगी…..
कहती थी मैं
पर डर लगता है अब इस समाज के नियमों से…..
मेरी उम्र पर उनकी नजरों से…..
कहते हैं बालिक हो गई अब किसका इंतजार है…..
उसकी शादी अब हमारा कानूनी अधिकार है…..
लेकिन अब शादी हो गई, लगता है सपनों को जंजीरों में जकड़ लिया….
परिवार की जिम्मेदारी ने मुझे कुछ ऐसे जो पकड़ लिया
पहले की तरह नहीं है दिमाग में पढ़ाई की टेंशन……
बस अब सोचती हूं क्यों नहीं आया अभी तक पापा जी का पेंशन…..
अरे सब्जी में नमक तो है न ?
कपड़ों पर चमक तो है ?
सर पर पल्लू तो है न ?
सब देखेंगे तो क्या सोचेंगे?
यही है अब मेरे पूरे दिन का हाल…
काश कुछ बन जाती पहले तो ना होता भावनाओं से भरा यह जाल….
आज सपनों पर मेरे कुछ धुंधला सा छा गया है…
कच्ची उम्र के पक्के रिश्ते ने मेरे सपनों को जो ऐसे मुर्झा सा दिया है…
काश शादी की उम्र मेरी भी लड़कों के समान होती…
तो शायद मेरे सपनों की भी आज लंबी उड़ान होती….