अगर पेड़ हो मित्र हमारे
अगर पेड़ हो मित्र हमारे
चिंता फिर क्या हमको प्यारे।।।।।१
संग रहू भी इनके हमेशा
चलते फिरते कदम बढेगा।।।।।२
अगर भूख हमको सताये
तोड फलो को इनके हम खाये।।।।।।३
धूप लगे तो छाव में लेलू
थकान कभी भी पास न आये।।।।।।४
जब मन चाहे चढू में ऊपर
गिरने की चिन्ता न आये।।।।।।५
धूप में रहे मित्र हमेशा
हमको धूप न लगने पाये।।।।।।।६
पानी देकर प्यास बुझाऊ
मित्र कभी न मुर्झा पाये।।।।।।७
दोस्त मेरा दोस्ती निभाये
निस्वार्थ कदम बढाये।।।।।।८
भूख प्यास की चिन्ता न सताये
मेरा मित्र उपकारी बन जाये।।।।।।९