अगर न डरता चूहा(बाल कविता)
अगर न डरता चूहा(बाल कविता)
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अगर न डरता चूहा हमसे
उल्टा हम पर चढ़ता,
अगर डाँटते कुत्ते को तो
भौं भौं-भौं-भौं करता।
टस से मस न हुई छिपकली
ताव दिखाती बिल्ली ,
तब शामत आ जाती अपनी
दिन में दिखती दिल्ली ।
भला हुआ जो चूहा-बिल्ली
कुत्ता हमसे डरते
वरना सोचो रोज लड़ाई
इनसे कैसे लड़ते !
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451