*अगर न चूहा डरता 【 बाल-कविता 】*
अगर न चूहा डरता 【 बाल-कविता 】
■■■■■■■■■■■■■■■■■
हमसे अगर न चूहा डरता
उछल-कूद ही करता
और छिपकली का बच्चा भी
हमको देख अकड़ता ।
कौए काँव-काँव कर- करके
पास हमारे आते
बिल्ली-कुत्ते अगर निडर होते
हम भगा न पाते ।
आफत में पड़ते यदि मक्खी
आकर हमें डराती
घर से बाहर कौन निकलता
घर में मुश्किल आती ।
अच्छा किया प्रभो!
पशु-पक्षी को डरपोक बनाया
हम डरते हैं इनसे
तूने इनको नहीं बताया ।
——————————————
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451